तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कहना चहुँ भी तो तुमसे क्या कहूँ
किसी जबा में भी , वो लफ्ज़ ही नहीं
की जिन में तुम हो क्या तुम्हे बात सकूं
मैं अगर कहूं तुमसा हसीं
कायनात में नहीं है कहीं
तारीफ ये भी तो , सच है कुछ भी नहीं
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कायनात में नहीं है कहीं
तारीफ ये भी तो , सच है कुछ भी नहीं
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
मैं अगर कहूं हमसफ़र मेरी
अप्सरा हो तुम,या कोई परी
तारीफ ये भी तो ,
सच है कुछ भी नहीं
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कहना चाहू भी तो तुमसे क्या कहूँ
किसी जाबां में भी,वोह लफ्ज़ ही नहीं
की जिन में तुम हो क्या तुम्हे बात सकूं
मैं अगर कहूं तुमसा हसीं
कायनात में नहीं है कहीं
तारीफ ये भी तो,सच है कुछ भी नहीं
LOVE U : )
No comments:
Post a Comment