कल रात न जाने कैसी बेचैनी सी हुई ,
करवटें बदलते रहा पर नींद न आयी,
शायद कुछ दिमाग में सोच रहा था,
पर सोना था इशिलिये सोने की कोशिश की अगले सुभाह पार्टी में जो जाना था.
पार्टी में भी एक अजब सी बेचैनी ,
पता नहीं नज़रें किसे और क्यूँ धून रही थी,
पर जब नज़र आया एक मासूम-सा चेहरा उसका,
दिल ने कहा येही है वो जिसकी बेचैनी तुझे रात भर सुला न सकी.
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